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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।

उत्तर -

भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारण भारतीय संविधान के अन्तर्गत भारत में बहुदलीय व्यवस्था के लिए उपबन्ध किये गये हैं। परन्तु व्यवहारिकता में भारत में विगत् 60 वर्षों से दलीय व्यवस्था में कई परिवर्तन आये हैं। पहले राजनीतिक दल जहाँ उद्देश्यों व साधनों की पवित्रता से प्रेरित दिखते थे, तो वहीं वर्तमान में सभी राजनीतिक दल ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता प्राप्ति हेतु तत्पर प्रतीत होते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतन्त्रता से पूर्व जहाँ एक सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन का रूप हुआ करती थी। समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व से परिपूर्ण वही कांग्रेस विगत 60 वर्षों में वंशवाद की बेल में फसती चली गयी। स्वतन्त्रता के बाद के वर्षों में कई नए राजनीतिक दल भी अस्तित्व में आये हैं और क्षेत्रीय स्तर पर तो राजनीतिक दलों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। वस्तुतः इसका कारण समाज सेवा की भावना नहीं अपितु राजनीतिक प्रभुत्व की स्थापना व सत्ता की प्राप्ति की लालसा है। विगत् 60 वर्षों में भारतीय दलीय व्यवस्था के स्वरूप व प्रकृति में तमाम परिवर्तन हुए हैं। इनमें वंशवाद, स्वेच्छाचारिता, नेतृत्व की मनमानी, दल-बदल इत्यादि कुत्सित प्रवृत्तियों का उल्लेख विशेष रूप से किया जा सकता है।

भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के निम्नलिखित प्रमुख कारणों का उल्लेख किया जा सकता है-

1. सत्ता प्राप्ति व पदलोलुपता की बढ़ती लालसा - भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में प्रत्येक राजनीतिक दल सत्ता प्राप्ति व पदलोलुपता की महत्वाकांक्षा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके चलते दल-बदल की प्रवृत्ति बढ़ी है। वैचारिक व सैद्धान्तिक मतभेदों का कोई मोल नहीं रह गया है। दो विरोधी विचारधारा के बैनर वाले दलों को सत्ता में आने के लिए परस्पर गठबन्धन करते हुए देखा जा सकता है। प्रारम्भिकं वर्षों में राजनीतिक दलों के लिए नीतियाँ, सिद्धान्त व आदर्श अत्यधिक महत्व रखते थे परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो नीतियाँ आदर्श व सिद्धान्त आवश्यकता व स्वार्थों के अनुरूप परिवर्तित होते रहते हैं। राजनीतिक दलों का सैद्धान्तिक व वैचारिक पतन हो रहा है। इसका प्रमुख कारण सत्ता का बढ़ता लोभ ही है।

2. राजनीतिक विरासत तैयार करने की प्रवृत्ति - भारतीय दलीय व्यवस्था में वंशवाद की बढ़ती प्रवृत्ति का प्रमुख कारण राजनेताओं द्वारा राजनीतिक विरासत तैयार करने की प्रवृत्ति को माना जा सकता है। जो राजनीतिक दल अपना प्रभाव जमा चुके हैं उनके मुखिया या संस्थापक इस प्रयास में रहते हैं कि वे अपने प्रियजनों व आने वाली पीढ़ियों को राजनीतिक विरासत देकर जाएं। राजनीतिक दलों के शीर्ष पदों पर संस्थापक के परिवार का ही प्रभुत्व रहता है। राजवंशों की तरह उत्तराधिकार भी परिवार के सदस्यों को ही मिलता रहता है। भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बात करें तो वह भी परिवारवाद व वंशवाद की गिरफ्त में दिखाई पड़ती है।

3. राजनीति का व्यवसायीकरण - दलीय व्यवस्था में आए परिवर्तनों का एक प्रमुख कारण यह भी है कि राजनीति एक व्यवसाय का रूप धारण करती जा रही है। इंजीनियरिंग, डॉक्टरी इत्यादि की तरह राजनीति भी एक पेशा बन चुकी है। इसके अपने तौर-तरीके विकसित हो रहे हैं, निश्चित नियम हैं और इनका विधिवत् पालन करने वाले व्यवसायिक राजनेता तैयार हो रहे हैं। यह राजनीति में सेवाभाव से नहीं आते अपितु अन्य व्यवसायों की तरह इसे भी एक अति लाभदायक व्यवसाय मानकर आते हैं और अवसर मिलते ही अधिकाधिक लाभार्जन में लिप्त हो जाते हैं। राजनेता पिता भी अपने पुत्र को और उनका पुत्र अपने पुत्र राजनीति को व्यवसाय या पेशा बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रोफेशनल राजनेताओं की बाढ़ सी आती जा रही है।

4. दलीय लोकतंत्र में गिरावट - भारतीय राजनीतिक दलों के आन्तरिक अनुशासन के नाम पर तानाशाही की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र समाप्त होता जा रहा है। किसी भी राजनीतिक दल में समस्त फैसले या तो संस्थापक व उसके परिवारीजनों द्वारा लिये जाते हैं, या फिर शीर्ष नेतृत्व पर काबिज कुछ गिने-चुने राजनेता समस्त निर्णय अपने अनुसार करते हैं। इस प्रवृत्ति के चलते राजनीतिक दलों में स्वेच्छाचारिता व नेतृत्व की मनमानी बढ़ती जा रही है। वर्तमान में कार्यकर्त्ताओं का इस्तेमाल केवल भीड़ के रूप में किया जाता है। नेतृत्व में उन्हें अवसर मिलने की सम्भावनाएं अत्यधिक क्षीण होती हैं। उच्च पदाधिकारियों के चयन में भी कार्यकर्त्ताओं की कोई .भूमिका नहीं होती।

5. राजनीतिक दलों की बढ़ती संख्या - भारतीय दलीय व्यवस्था में आए परिवर्तनों का एक प्रमुख कारण यह भी है कि राजनीतिक दलों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अनेक छोटे-छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की स्थापना होती रहती है। ये राजनीतिक दल राष्ट्रीय दलों व सड़े क्षेत्रीय दलों की तुलना में प्रभुत्वं जमाने हेतु भाषावाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयतावाद इत्यादि कुत्सित प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं। सस्ती लोकप्रियता प्राप्ति हेतु संवेदनशील मुद्दों को हवा देते हैं। अवसर मिलने पर यह सौदेबाजी हेतु भी तत्पर रहते हैं। इस प्रकार राजनीतिक दलों की अप्रत्याशित रूप से बढ़ती संख्या भी भारतीय दलीय व्यवस्था में आए परिवर्तनों का एक प्रमुख कारण हैं।

निष्कर्ष - उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि भारतीय दलीय व्यवस्था में विगत 60 वर्षों में कई प्रकार के परिवर्तन आए हैं। कई सकारात्मक परिवर्तनों के साथ-साथ नकारात्मक परिवर्तनों की मात्रा अधिक दिखाई पड़ती है। इन परिवर्तनों के कारण सत्ता का लोभ, राजनीतिक विरासत की भावना, लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट इत्यादि को माना जा सकता है। यदि हमें भारतीय दलीय व्यवस्था को लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप बनाए रखना है तो इसकी समस्याओं व परिवर्तनों के कारणों के उन्मूलन के गम्भरी प्रयास करने होंगे अन्यथा की स्थिति में लोकतन्त्र भीड़तन्त्र के रूप में परिवर्तित हो जाएगा और यह शुभ संकेत नहीं है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

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